हृदयांजलि
गुरुवार, 2 जुलाई 2009
वेदना के क्षण
आरती के दीप बुझ गए
आशा की कोई किरण न रही
ध्रुवतारा न उगा उस दिन
पीड़ा मेरी घनीभूत होती गई.
1 टिप्पणी:
रंजना
2 जुलाई 2009 को 5:12 pm बजे
Sundar rachna....ise tanik aur vistar den.
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