tag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post7971865097527265142..comments2024-02-05T14:37:57.264+05:30Comments on हृदयांजलि : Unknownnoreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post-68794261863726624982008-08-28T17:40:00.000+05:302008-08-28T17:40:00.000+05:30हमें उन शिखंडियों को समझाने की जरूरत पड़ेगी ही नही...हमें उन शिखंडियों को समझाने की जरूरत पड़ेगी ही नहीं अगर हम अपनी बात बेहतर तरीके से समझ लें और उसे मौके-बेमौके जोरदार तरीके से उठाये. जहां तक मैं समझता हूं, आज ऐसे लोगों को जवाब देने के लिए प्रबुद्ध लोगों को एक फौज खड़ी हो रही जो उनका मुकाबला करने के लिए तैयार है. बस इन्हें जरूरत है एक सशक्त प्लेटफॉर्म की. फिलहाल हल्दी न चूना, घाव चोखा होय करने के लिए मुफ्त का ब्लॉगर ही सर्वश्रेष्ठ माध्यम है.Satyajeetprakashhttps://www.blogger.com/profile/11272982282044450151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post-2684980811668795032008-08-28T17:28:00.000+05:302008-08-28T17:28:00.000+05:30इन विसंगतियों का जब भी इस तरह से कच्चा चिठ्ठा खुले...इन विसंगतियों का जब भी इस तरह से कच्चा चिठ्ठा खुलेगा, तभी हम सभी विवेक पसंद नागरीकों को इन तरह के दुष्प्रचार से सत्य का बोध होगा.<BR/><BR/>मगर एक बात नही भूलनी चाहिये. Two wrongs do not make One right.<BR/><BR/>यह बात हमें सामान्यतः याद रखनी ज़रूरी है.<BR/><BR/>पर यह बात उन्हे कौन समझाये ? क्या हमीं समझदार रहें, उनकी समझदारी का जिम्मा कौन लें? वे, तथाकथित धर्म निरपेक्ष जमात के शिखंडी, जो खुद कोहनी तक उगे है, और बरगद नापनें चलें है?<BR/><BR/>आप का कटाक्ष जिन पर है, वे यहां नही आयेंगे, क्योंकि यहां शुद्ध LOGIC and RATIONAL बातों का आदान प्रदान होता है.<BR/><BR/>इसी तरह की मन की कुछ बाते मेरे नये ब्लॊग -मानस के अमोघ शब्द -पर करने का सोचा है.आपका स्वागत है.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post-79662496337204340932008-08-25T13:01:00.000+05:302008-08-25T13:01:00.000+05:30ये रोष उस सच के खिलाफ है, जिसे दिखाने का वह चैनल द...ये रोष उस सच के खिलाफ है, जिसे दिखाने का वह चैनल दावा करता है.Satyajeetprakashhttps://www.blogger.com/profile/11272982282044450151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post-79439561012647030412008-08-25T12:36:00.000+05:302008-08-25T12:36:00.000+05:30सत्य कड़वा होता है और सही जगह पर बोलने का साहस सभी...सत्य कड़वा होता है और सही जगह पर बोलने का साहस सभी में नहीं होता। खासतौर पर राजनीति और मीडिया क्योंकि मामला वोट और नोट से जा जुड़ता है। भारतीय मीडिया पर अभी तक भी उपनिवेशकालीन संस्कार तथा वामपंथी हावी हैं जो समाज को भ्रमित करने में लगे हैं। हज यात्रियों को सब्सिडी जायज है और अमरनाथ यात्रियों को सुविधा देने की मांग से साम्प्रदायिकता को बढ़ावा मिलता है जैसे जुमले कुछ दिवालिया लोगों की उपज हैं। कुछ चुके हुए लोगों को एक अच्छा रोजगार मिला हुआ है।Sanjeevhttps://www.blogger.com/profile/16613354300792808697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post-76079771203284474012008-08-25T12:33:00.000+05:302008-08-25T12:33:00.000+05:30आपका रोष इस लिए है की आप इनसे उम्मीद रखते है. इनके...आपका रोष इस लिए है की आप इनसे उम्मीद रखते है. इनके यहाँ सही बोलने वालो को चुप करवा दिया जाता है, आज ही एक ब्लॉग लिखा गया है, इस पर.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post-86058973053556819212008-08-25T12:32:00.000+05:302008-08-25T12:32:00.000+05:30सत्य कड़वा होता है। उसे सही जगह पर उद्♀घाटित करने ...सत्य कड़वा होता है। उसे सही जगह पर उद्♀घाटित करने का साहस सभी में नहीं होता। खासतौर पर जब मामला सत्ता, कमाई और टी.आर.पी. का हो। वैसे भी भारतीय मीडिया अभी तक भी उपनिवेशकालीन संस्कारों से मुक्त नहीं हो पाया है। रही सही कसर उस पर वामपंथियों के प्रभाव ने पूरी कर दी है। हज यात्रियों को सब्सिडी देना जायज है और अमरनाथ यात्रियों के लिये अस्थाई प्रबंध करना नाजायज। यही विसंगति भारत को एक छद्म युद्ध में उलझाये हुए है।Sanjeevhttps://www.blogger.com/profile/16613354300792808697noreply@blogger.com