tag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post2221930597590486139..comments2024-02-05T14:37:57.264+05:30Comments on हृदयांजलि : हिंदी कैसे बन सकती है सर्वश्रेष्ठUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post-40023292685194536522012-11-28T22:42:38.586+05:302012-11-28T22:42:38.586+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Madhusudan Jhaverihttps://www.blogger.com/profile/17195499710829178937noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post-32169938326295540282012-11-28T22:37:36.350+05:302012-11-28T22:37:36.350+05:30श्री रविशंकर श्रीवास्तव जी,--धन्यवाद।
आप के, निरिक...श्री रविशंकर श्रीवास्तव जी,--धन्यवाद।<br />आप के, निरिक्षण से तो सहमत ही हूँ।<br />बदलाव की प्रक्रियाओं का कुछ अध्ययन इंगित करता है; कि,ऐसा बदलाव लाने के कुछ सफल प्रयोग, गत ५०-६० वर्षों के,इतिहास में जपान और इज़राएल जैसे (मेरी जानकारी में) देशों में किए गए हैं. कुछ अध्ययन कर रहा हूँ।<br />हमें नेतृत्व की अदूर्दर्शिता ने और उन के अंध-भक्त अनुयायियों की ठप्पा मार वृत्ति ने अंग्रेज़ी की बैसाखीपर दौडाया --और फलतः विश्व की प्रगति की दौड में पीछे ही रहने पर विवश किया।<br />आपकी टिप्पणी -अकस्मात -सामने आयी। <br />मुझे पता नहीं था, कि आलेख इस जालस्थल पर छपा है। सम्बंधित विषयों पर निम्न जाल स्थल पर आप आलेख देख पाएंगे।<br />विशेष "गांधी जी के भाषा विषयक विचार" यह आलेख आप देखें। आपके प्रश्न का उत्तर कुछ मिल पाएगा। <br />ऐसी प्रक्रिया अनेक अंगों से, समान्तर-एवं समसामयिक होने पर सफलता संभव होती है। <br /> <br /><br />www.pravakta.com <br /> <br />Madhusudan Jhaverihttps://www.blogger.com/profile/17195499710829178937noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-392206723793444287.post-83773062902143795722012-10-15T11:53:53.433+05:302012-10-15T11:53:53.433+05:30बढ़िया विवेचन. पर दो सौ वर्षों से लगा ग्रहण आगे हट...बढ़िया विवेचन. पर दो सौ वर्षों से लगा ग्रहण आगे हटता तो नहीं दिख रहा...रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com